Chije Jo Nakam / चीजें जो नाकाम - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD20)


शहर-हर में चल रहा, चीजें जो नाकाम |
 बन-बन कर फिर बिक रही, वही पुराना नाम।।

शब्दार्थ :- नाकाम  = अनुपयोगी, चीजें = वस्तुएं

भावार्थ:- आकल गांव-गांव, शहर-शहर में एक नया सा अभियान चल पड़ा हैं कि कहीं भी जो बेकार की सस्तुएं है, जिन्हें आज क हम फैंक दिया करते थे, उनका पुनः निर्माण कर दैनिक जीवनोपयोगी कोई छोटी-बड़ी वस्तु बनाकर उपयोग में लिया जाता रहा है । पुनः निर्मित वस्तुओं का क्रय-विक्रय भी होता है। इस प्रकार छोटा-बड़ा रोजगार भी मिल जाता है । आसानी से समय व्यतीत होने से साथ-साथ घर की कुछ आय भी बढ़ती है।