Lagay Podhe Char / लगाय पौधे चार - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD07)



अब  आँसू  क्यों आ रहे, करलें एक विचार ।
एक-एक परिवार के, लगाय पौधे चार ।।

शब्दार्थ :-     अश्रु = दुःख के आँसू

भावार्थ:-    पर्यावरण संतुलन बिगड़ने केकारण आज हम विभिन्न प्रकार से दुःख उठाते हुए खून के आंसू रो रहे हैं कहीं वर्षा नहीं हो रही तो कहीं एसिड की वर्षा हो रही है ’वाणी’ कविराज कहते है कि अब इस प्रकार व्यर्थ आंसू बहाने से यह विकराल समस्या हल नहीं होगी । हम सभी को मिलजुल कर सामुहिक प्रयास हेतु विचार-विर्मष करना होगा । यदि हम ऐसा दृढ़ संकल्प करले कि एक-एक परिवार इच्छित स्थान पर चार-चार पौधे लगा कर अपने परिजन की भांति उनकी देख-रेख करे तो कुछ ही वर्षो मंे यह प्राकृतिक समस्या स्थाई रूप से दूर हो सकती है। हमे ऐसे ही कुछ प्रयास करने होगें ।