इन्द्र देव रूठे जहां, एसिड वर्षा होय ।
फसल मरी मछली मरी, रोय-रोय सब रोय।
शब्दार्थ:- इन्द्रदेव = वर्षा के देवता, एसिड वर्षा = अम्ल वर्षा
भावार्थ:- वर्षा के देवता इन्द्रराज जहां अप्रसन्न हो जाते हैं वहां अम्ल वर्षा होती है। सामान्यतया वर्षा के जल में अम्ल होता ही हैं किन्तु कभी-कभी हाइड्रोजन की मात्रा पांच से कम हो जाती है तो उसे अम्ल वर्षा कहते है ऐसी वर्षा उद्योगों से अधिक मात्रा में निकले नाइट्रोजन और गन्धक के आक्साइड्स के कारण ही होती हैं इससे फसलों के नुकसान के साथ - साथ नदी तालाबों की मछलियां तक मर जाती हैं इसका एक कुपरिणाम यह भी निकलता हैं कि कैडमियम और पारा जैसे भारी धातु पौधों के द्वारा हमारे भोजन में प्रवेश पा जाते है, जिससे जन सामान्य के स्वास्थ्य में गिरावट आने लगती है।