होती ना ओजोन जो, जल जाता संसार।
अब उसकी रक्षा करें, करलो बैठ विचार।
शब्दार्थ:- जल जाता = सूर्य द्वारा आने वाली हानिकारक किरणों से नष्ट होना
भावार्थ:- ’वाणी’ कविराज कहना चाहते हैं कि यदि हमारी पृथ्वी के चारों ओर वायुमण्डल के ऊपर में यह ओजोन परत नहीं होती तो संसार को बहुत बड़ी क्षति उठानी पड़ती । यह मानवजाति अपने अस्तित्व में ही नहीं आ पाती। वही ओजोन परत अब धीरे-धीरे नष्ट होती जा रही हैं । नाइट्रोजन की 3865 लाख टन की मात्रा की तुलना में ओजोन की मात्रा 3,300 लाख टन है। ओजोन परत को हानि पहुंचाने वाले कारकों में, नाइट्रोजन आक्साइड व आवाज की गति से तेज चलने वाले वायुयान और क्लोरो फ्लोरोफ्लूरोकर्बन प्रमुख है। हम सभी को चाहिए कि हम पर्यावरण के सभी राष्ट्रीय कार्यक्रमों में पूर्ण सक्रिय रहें ओजोन परत को पूर्ववत् उपयोगी बनाने में अधिकाधिक सहयोग दें ।