राधाष्टमी


 

राधाष्टमी

राधा-राधा जपत है , आठ प्रहर घनश्याम  ।

श्याम-श्याम रट राधिका , रोज सुबह से शाम  ।।

रोज सुबह से शाम , रूप बदल-बदल आना  ।

मिलते बारंबार , मिथिला कभी बरसाना  ।।

'वाणी' पाए नेह , हर बार आधा-आधा  ।

खोजत-खोजत पाय , श्रीकृष्ण को हर राधा  ।।


कोमल कोठारी


 

कोमल कोठारी 

कोमल कोठारी हुए ,  जन-जन के गोपाल  । 

जन्म कपासन में लिया , गढ़ चित्तौड़ निहाल  ।। 

गढ़ चित्तौड़ निहाल ,  पढ़ाई करी जोधपुर  । 

साथ में विजय दान , साहित्य साथ भरपूर  ।।

कह 'वाणी'कविराज , रचते कथा ,गीत, गजल  ।

पाय पद्मश्री आप , बनी रूपायन कोमल  ।।


देवनारायण जयंती


 

देवनारायण जयंती

आई रे छठ भादवी , गांव-गांव में मोज  ।

साडू माता रावरी , पिता सवाई भोज  ।।

पिता सवाई भोज , हा बगड़ावत परिवार  ।

लियो जनम आसींद , नाथ विष्णु रा अवतार  ।।

'वाणी' व्या  नाराण , गायां ने जो बचाई  ।

ध्याय रावरो रूप , कदी न मुसीबत आई  ।।


खेल दिवस


 

खेल दिवस 

शुरुआत करो खेल की, ऐसा मिलाय मेल  ।

खेल-खेल सब सीख लें , जो खेलेंगे खेल  ।।

जो खेलेंगे खेल , देख ध्यान चंद हॉकी  ।

स्वर्ण पदक ले तीन , कोई कसर ना बाकी  ।।

कह 'वाणी' कविराज , दिन और चांदनी रात  ।

किया गज़ब अभ्यास , जहां खेल की शुरुआत  ।।


लघु उद्योग


 

  लघु उद्योग 

छोटी छोटी चीज को , बनाय लघु उद्योग  ।

पूंजी भी थोड़ी लगे , काम हज़ारों लोग  ।। 

काम हज़ारों लोग ,  मिटती बेरोजगारी  ।

होता खूब विकास , दिखती नहीं लाचारी  ।।

कह 'वाणी'कविराज , वही इंडस्ट्री मोटी  । 

बने समय जब आय , लगा इंडस्ट्री छोटी  ।।

ऋषि पंचमी





ऋषि पंचमी 

परम पूज्य ऋषिवर सभी , राम जीवनाधार  ।

पाया तप बल योग से , जो जग मूलाधार  ।। 

जो जग मूलाधार , वेद-ऋचाएं बोलती  ।

यज्ञ वंदना पाठ , मानस के पट खोलती  ।।

'वाणी' यश फैलाय , भारद्वाज अत्री गौतम  ।

कश्यप विश्वामित्र , जमदग्नि वशिष्ट परम  ।।


 

गणेश चतुर्थी


 

गणेश चतुर्थी

गणपति बप्पा मोरया , प्रकट दिवस यह आय  ।

सुबह शाम सब आपको , मोदक देय खिलाय  ।। 

मोदक देय खिलाय ,  सभी के ज्ञान-भंडार  ।

ऐसे भर दो नाथ , बढ़ जाएं कारोबार  ।।

कह 'वाणी' कविराज , चमकाय चप्पा-चप्पा  ।

 दस दिन बाजे-ढोल ,  रात-दिन गणपति बप्पा  ।।


हजारी प्रसाद द्विवेदी



हजारी प्रसाद द्विवेदी 

अनमोल कहे लाल जी , ज्योतिष्मति बुलाय ।

संस्कृत-ज्योतिष सीख के , ऐसी कलम चलाय ।।

ऐसी कलम चलाय , रच बाण भट्ट की कथा ।

पद्म भूषण दिलाय , कुटज,कबीर, कल्पलता ।।

दे हजारी प्रसाद , सब ज्ञान खज़ाने खोल ।

'वाणी' लाखों आज , ढूंढ़े मोती अनमोल  ।।

विश्व फोटोग्राफी दिवस


 

विश्व फोटोग्राफी दिवस

लाखों के हैं कैमरे , लाखों फोटो खींच  ।

वे यादें ताजा करें , हॅंस-हॅंस सबके बीच  ।।

हॅंस-हॅंस सबके बीच , जोसेफ नाईस फोर  ।

थे वैज्ञानिक फ्रांस , आविष्कार कर बिफोर  ।।

कह 'वाणी' कविराज , कौन जीए या कि मरे  ।

अमर करे सब नाम , लाखों के ये कैमरे  ।।


विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस



(विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस

 मान लें हम बुजुर्ग की , बातें हैं जो ठीक  ।

सोच-समझ कर बोलना , बढ़ें सफलता लीक  ।।

बढ़ें सफलता लीक , सुन-सुन अनुभव खज़ाने  । 

मुसीबतों  के तोड़ , सभी पल-पल में जाने  ।। 

कह 'वाणी' कविराज , सारा ही जग जान ले  ।

ये माथे के मोड़ , बातें प्यारी मान लें   ।।


सुभाष चंद्र बोस पुण्य तिथि

 



सुभाष चंद्र बोस पुण्य तिथि 

कटक बस्ती प्रभावती , पिता जानकी नाथ  ।

सुभाष चंद्र जब जनमे ,  गोरे हुए अनाथ  ।।

गोरे हुए अनाथ ,  कहां "तुम मुझे खून दो" 

आज़ाद हिंद फौज , अनगिन गोरे भून दो  ।।

'वाणी' जीते जंग , चली श्वांसे अटक-अटक  ।

भागे जब हैरान , वे देख-देख के कटक  ।।

गुलजार साहेब


 



गुलजार साहेब

संपूरन सिंह कालरा , अदब का अज़िब दौर  ।

पिता श्री माखनसिंह जी , दीना सुजान कौर  ।।

दीना सुजान कौर , 'बंदिनी' के गीतकार  ।

पद्म भूषण सजाय , निर्देशक , नाटककार  ।।

'वाणी' वो फनकार , कुछ रहा नहीं अपूरण  ।

ख्याले गुल गुलजार , ज़हन दिलकश संपूरन  ।।


गोगा नवमी


 

गोगा नवमी

बाछल-जेवर लालजी , गरुवर गोरखनाथ ।

पांच पीर माने-गणे , गोगा दीजो साथ ।।

गोगा दीजो साथ , जेरीला जीव धोगे ।

अण देख्यो कर जाय , वो खुद री खतां भोगे ।।

'वाणी'राखी बांध , खिलाय भई ने गेवर ।

लारे रीजो नाथ , लालजी बाछल-जेवर  ।।

गोगा नवमी

अटल बिहारी वाजपेयी


 

अटल बिहारी वाजपेई 

अटल रहे जो कथन पे ,  वही अटल कहलाय  ।

तीनों बार जनमत से , राजा बन कर छाय  ।।

 राजा बन कर छाय , परमाणु राष्ट्र बनाया  ।

कारगिल विजय पाय ,  चमकता कांच दिखाया  ।। 

'वाणी' सड़के जोड़ ,  सुलझाय कावेरी जल ,

पद्म विभूषण पाय ,  कविता करते कवि अटल  ।।


कृष्ण जन्माष्टमी



कृष्ण जन्माष्टमी
कन्हैया जनमे जेल में , पढ़े सुदामा संग ।

रास रचाए गोपियां , बदल-बदल के रंग ।।

बदल-बदल के रंग , जन-मन भाव विभोर

मारा मामा कंस , बचा न कोई उस दौर ।।

'वाणी' गीता पाठ , कर रही घर-घर मैया

मटकी दी लटकाय , फोड़ जाना कन्हैया  ।।

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उपनिवेश


उपनिवेश 

जनपद उपनिवेश बना , लिए जग में अनेक  ।

गए कई फिर हाथ से , आज़ाद एक-एक  ।।

आज़ाद एक-एक , उत्तर-दक्षिण कोरिया  ।

तब कांगो , बहरीन , शब्द- बाण फिर गोलियां  ।।

'वाणी 'यूं आज़ाद , अब कितने ऐसे देश  ।

रहे अब तक गुलाम , कहे जनपद उपनिवेश  ।।

स्वाधीनता दिवस रहा स्वाधीनता दिवस रहा


 स्वाधीनता दिवस रहा

स्वाधीनता दिवस रहा , लाल किले से बोल  l

झंडा लहराता रहे , गगन गूंजते ढ़ोल  ।। 

गगन गूंजते ढ़ोल , जब सैनिक हैं तैनात  । 

अमन-चैन संदेश , हैं सदियों की सौगात  ।।

कह  'वाणी' कविराज  , सुरक्षा में नवीनता ,

कोशिश सब की एक , रहे अमर स्वाधीनता ।।


विश्व शेर दिवस


 विश्व शेर दिवस 

 जंगल के राजा रहे  , सदियों से जो शेर  ।

चिड़ियाघर के पिंजरे , होते रैन-बसेर  ।।

होते रैन-बसेर , ताकते नव काॅलोनी  ।

फैक्ट्री धुंआ देख , हॅंसे योजना सलोनी  ।।

कह 'वाणी' कविराज , कटे पेड़ मन-मन कहे  ।

उजड़ रहे परिवार  , न जंगल के राजा रहे  ।।


हाथी दिवस


 हाथी दिवस 

हाथी वन अति सघन में , चले बना कर झुंड  ।

उछले पानी सूंड से , जहाँ मिले जल-कुंड  ।।

जहाँ मिले जल-कुंड , मौज मस्ताने मनाते  ।

बोत्सवना वन माय , गिने सर्वाधिक जाते  ।।

कह 'वाणी' कविराज , युगों के हैं ये साथी  ।

क्यों तुम घटते जाय , बताओ सफेद हाथी  ।।


विश्व युवा दिवस ज़वानी


 विश्व युवा दिवस 

ज़वानी गज़ब  आग है , रुक-रुक कर सुलगाय  ।

मनवा उड़ता ठान के , दसों दिशा में जाय  ।।

दसों दिशा में जाय , रहें जो धुन के पक्के  ।

ला कर मोती खोज , देख कर हक्के-बक्के  ।।

कह 'वाणी' कविराज  , रचे कुछ अमर कहानी  ।

पढ़ें हज़ारों बार, हैं  वही धन्य जवानी  ।।


हरिशंकर परसाई व्यंग्यलेखक


 हरिशंकर परसाई

 व्यंग्यलेखक हरिशंकर , हुए जमानी गांव  ।

होशंगाबाद जनपद , मुसीबतों की छांव  ।।

मुसीबतों की छांव , सदाचार का ताबीज  ।

कहानी,उपन्यास , हास्य-व्यंग्य टाकीज  ।।

कह 'वाणी' कविराज , हज़ारों पढ़ते अपलक  ।

हँस-हँस आंसू आय , थे ऐसे व्यंग्यलेखक  ।।

रक्षाबंधन बहन


 रक्षाबंधन  बहन

बहन का सब ध्यान रखे , भाई वही कहाय  ।

मिले-जुले सब प्रेम से , बातें बहुत बताय  ।।

बातें बहुत बताय , सुनावे नई-पुरानी  ।

किसकी सासु तेज , किसकी भाभी सयानी  ।।

कह 'वाणी' कविराज , कुछ कहे कुछ करे सहन  ।

रखले सबसे प्रेम , यही समझदारी बहन  ।।

विश्व आदिवासी दिवस


विश्व आदिवासी दिवस 

 आदिवासी जहां रहे , मूल निवासी होय  ।

पीढ़ियों के रिवाज  को,  कभी नहीं वे खोय  ।।

कभी नहीं वे खोय , समय आय देख मिजाज  ।

कैसे शादी-ब्याह , कैसे बजते हैं साज  ।।

कह 'वाणी' कविराज , पांच-पंच जैसा कहे  ।

माने प्यारी बात , जहां आदिवासी रहे  ।।

भारत छोड़ो आंदोलन दिवस




भारत छोड़ो आंदोलन दिवस

 सब अंग्रेजों छोड़ना , भारत को तत्काल  ।

मुम्बई अधिवेशन में , गांधी वाक्य कराल  ।।

गांधी वाक्य कराल , जय घोष ''करो या मरो'  ।

कह जन-मन भूचाल , अब गोरों से मत डरो  ।।

कह 'वाणी' कविराज , होगा रोज नया गज़ब  ।

भागो अपने देश , अंग्रेजों छोड़ कर सब  ।।


रवींद्र नाथ टैगोर ...


रवींद्र नाथ टैगोर 

 कविवर श्री टैगोर को , मिला प्रथम नोबेल  ।

 राष्ट्र-गान दो-दो रचे, हैं बारह नाॅवेल  ।।

हैं बारह नॉवेल  , गुनगुनाते गीतांजलि  ।

मात शारदा लाल , कोटि-कोटि श्रद्धांजलि  ।।

'वाणी' भारत रत्न , पुलकित सारे मित्रवर  ।

कविता,नाटक, गीत , पेंटिंग रवींद्र कविवर  ।।


राष्ट्रीय हथकरघा दिवस


 राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 

कपड़े सब के खास  है , साहब हो या मेम  ।

भांत-भांत  की क्वालिटी , पैसों का सब गेम  ।।

पैसों का सब गेम , अच्छा सिस्टम पुराना  ।

बहुत मिले आराम , सीखे चर्खा चलाना  ।।

कह 'वाणी' कविराज  फेंसिंग ड्रेसें लफड़े  ।

लड़े  कचहरी माय , पहन फेशन के कपड़े  ।।


हिरोशिमा डे


हिरोशिमा डे
 अमेरिका की द्वेषता ,  विश्व युद्ध के माय  ।

बम गिरा कर हिरोशिमा , लाखों जीव जलाय  ।।

लाखों जीव जलाय , आज भी उठती लपटें  ।

कीनो सभी विचार , भावी प्रलय से निपटें  ।।

कह 'वाणी' कविराज  ,सर्वसम्मति सहित लिखा  ।

बन सकेगा ना कोय , फिर से कभी अमेरिका  ।।


(अंतर्राष्ट्रीय ट्राफिक लाईट दिवस)


(अंतर्राष्ट्रीय ट्राफिक लाईट दिवस)

 रंग-बिरंगी लाइटें , चौराहों के पास  ।

पहले देखो ध्यान से , दिखता कौन प्रकाश  ।।

दिखता कौन प्रकाश , लाल कहे ठहर जाओ  ।

पीला हो तैयार , हरा देख गति बढ़ाओ  ।।

'वाणी' सबको मान ,  ढंग से चल बेढ़ंगी  ।

पुलिस  रोकती देख , लाइटें रंग-बिरंगी  ।।