दीप


दीप जलाय विनय करें , अंतस तम मिट जाय  । 

चिंतन-मनन नवीनता , नव अरुणोदय आय  ।।

नव अरुणोदय आय , सभी के सब सहयोगी  ।

कहीं नहीं अवसाद , ज्यूं युग-युग के योगी  ।।

कह 'वाणी'कविराज , हर तमस में ज्योति भरें  ।

रोज दिवाली होय , दीप जलाय विनय करें  ।।