मोबाइल में जान है , जान सके तो जान  ।
जानकार जग जानता , किसमें किसकी जान  ।।
किसमें किसकी जान , जान कितनी व्याकुल है  ।
अगर चुराले चोर, सज़ा मिलनी बिल्कुल है  ।।
कह 'वाणी' कविराज , कभी न होंगे फाइनल  ।
केश-केश पर क्लेश , जेब में जब मोबाइल  ।।
कवी अमृत वाणी 
