विश्व नगर दिवस


 
गांव से चल-चल करके, बनाय बड़े मुकाम  ।

केवल धन की होड़ है, शहर उसी का नाम  ।।

शहर उसी का नाम, होते रोज़ नवाचार  ।

नफ़रत की मुस्कान, अज़ीब युग शिष्टाचार  ।।

कह 'वाणी'कविराज, धुंधल पास हर नज़र के  ।

ज़ख्मी हुए ज़मीर, गांव से चल-चल करके  ।।