कार्तिक पूर्णिमा

 कार्तिक पूर्णिमा 

काशी ही वाराणसी , देव दिवाली आय । 

कार्तिक की है पूर्णिमा , दर्शक मन हर्षाय  ।।

दर्शक मन हर्षाय , सकल देव गण पधारे  ।

घाट-घाट पर दीप , वर मुद्रा खड़े सारे  ।।

कह'वाणी'कविराज, लाखों अंखियां प्यासी  ।

नहाय गंगा घाट , काशी ही वाराणसी  ।।