अन्नकूट


षटरस भोजन होय तब , अन्नकूट कहलाय  ।

छप्पन भोग लगाय जो , सकल देव हरषाय  ।।

सकल देव हरषाय , गोवर्धन सब पूजते  ।

पूजित गौ अरु बैल, सहर्ष प्रसाद  लूटते  ।।

कह 'वाणी'कविराज ,  मनाते बरस-दर- बरस  ।

मिटते सभी विकार , भोजन होय जब षटरस  ।।