वाल्मीकि जयंति


 

आदि कवि वाल्मीकि हुए , नारद दीना मंत्र  ।

राम नाम जपते रहे , मान कर महामंत्र  ।।

मान कर महामंत्र , ढंक दियो दिमक तन को  । 

प्रकट हुए जो पुण्य , कवि रची रामायण को  ।।

कह 'वाणी'कविराज , सभी श्रोता चकित हुए  ।

सुन लव कुश का गान , आदि कवि वाल्मीकि हुए  ।।