नए-नए ईज़ाद से , बदले रोज ज़हान ।।
बदले रोज ज़हान , रहे रात-दिन मशगूल ।
समय सबका खास , वे खर्च करें न फिज़ूल ।।
कह 'वाणी'कविराज, पाब्लो महा चित्रकार ।
कई नव दृष्टिकोण , अज़माय हर कलाकार ।।