बेटा-बेटी एक हैं ,  समझो चतुर सुजान  ।

दो-दो घर को तारती , बनाएं भाग्यवान  ।।

बनाएं भाग्यवान , कभी न सेवा में चूक  ।

मर्यादा में मौन , पर बोलती है अचूक  ।।

'वाणी' बनी न भार ,  जिसके काम अनेक हैं , 

पूर्णतः निर्विकार ,  बेटा-बेटी एक है  ।।