धनतेरस धन पूजते, श्रम धन को ना भूल ।
जो पूजे धन्वन्तरी , मिटते सकल त्रिशूल ।।
मिटते सकल त्रिशूल , मिलता अनंत खज़ाना ।
तन-मन रहे निरोग , धनी हो धर्म दिवाना ।।
कह 'वाणी' कविराज , कभी भी नहीं भूलते ।
प्रथम पूज्य कर याद, धन तेरस धन पूजते ।।