राधाष्टमी
राधा-राधा जपत है , आठ प्रहर घनश्याम ।
श्याम-श्याम रट राधिका , रोज सुबह से शाम ।।
रोज सुबह से शाम , रूप बदल-बदल आना ।
मिलते बारंबार , मिथिला कभी बरसाना ।।
'वाणी' पाए नेह , हर बार आधा-आधा ।
खोजत-खोजत पाय , श्रीकृष्ण को हर राधा ।।