विश्व आदिवासी दिवस
आदिवासी जहां रहे , मूल निवासी होय ।
पीढ़ियों के रिवाज को, कभी नहीं वे खोय ।।
कभी नहीं वे खोय , समय आय देख मिजाज ।
कैसे शादी-ब्याह , कैसे बजते हैं साज ।।
कह 'वाणी' कविराज , पांच-पंच जैसा कहे ।
माने प्यारी बात , जहां आदिवासी रहे ।।