मैथिलीशरण गुप्त जयंती
गुरुकुल, भारत भारती, पहले रचनाकार ।।
पहले रचनाकार, मुखरित की खड़ी बोली ।
अब हिंदी श्रंगार, सजा रही वृहद टोली ।।
कह 'वाणी' कविराज, जग व्यापकता संकेत ।
लिखते लाखों हाथ, प्रेरणा-पुंज साकेत ।।