हजारी प्रसाद द्विवेदी



हजारी प्रसाद द्विवेदी 

अनमोल कहे लाल जी , ज्योतिष्मति बुलाय ।

संस्कृत-ज्योतिष सीख के , ऐसी कलम चलाय ।।

ऐसी कलम चलाय , रच बाण भट्ट की कथा ।

पद्म भूषण दिलाय , कुटज,कबीर, कल्पलता ।।

दे हजारी प्रसाद , सब ज्ञान खज़ाने खोल ।

'वाणी' लाखों आज , ढूंढ़े मोती अनमोल  ।।