पर्वतारोहण दल जो, ऊंचे पर्वत जाय ।क्या-क्या अनुभव पा रहें, आकर सभी सुनाय ।।आकर सभी सुनाय, होय अगली तैयारी ।होतें कुछ बदलाव, नए लोगों की बारी ।।कह 'वाणी' कविराज, करें प्रकृति का संरक्षण ।प्रेम लूट भरपूर, कर-कर पर्वतारोहण ।।
पर्वतारोहण दल जो, ऊंचे पर्वत जाय ।
क्या-क्या अनुभव पा रहें, आकर सभी सुनाय ।।
आकर सभी सुनाय, होय अगली तैयारी ।
होतें कुछ बदलाव, नए लोगों की बारी ।।
कह 'वाणी' कविराज, करें प्रकृति का संरक्षण ।
प्रेम लूट भरपूर, कर-कर पर्वतारोहण ।।