व्यंग्यलेखक हरिशंकर , हुए जमानी गांव ।
होशंगाबाद जनपद , मुसीबतों की छांव ।।
मुसीबतों की छांव , सदाचार का ताबीज ।
कहानी,उपन्यास , हास्य-व्यंग्य टाकीज ।।
कह 'वाणी' कविराज , हज़ारों पढ़ते अपलक ।
हँस-हँस आंसू आय , थे ऐसे व्यंग्यलेखक ।।