गणेश चतुर्थी
गणपति बप्पा मोरया , प्रकट दिवस यह आय ।
सुबह शाम सब आपको , मोदक देय खिलाय ।।
मोदक देय खिलाय , सभी के ज्ञान-भंडार ।
ऐसे भर दो नाथ , बढ़ जाएं कारोबार ।।
कह 'वाणी' कविराज , चमकाय चप्पा-चप्पा ।
दस दिन बाजे-ढोल , रात-दिन गणपति बप्पा ।।