कारगिल का युद्ध हुआ, शांति-मार्ग अवरुद्ध ।पाक बना नापाक सा, फिर भ्रातृत्व अशुद्ध ।।फिर भ्रातृत्व अशुद्ध, दोनों के परमाणु बम ।करी पाक शुरुआत, यहां पर गूंजे बम-बम ।। कह वाणी कविराज, ढूंढता चूहा फिर बिल।हस्ती मिटती नहीं, कहे मन जयति कारगिल।।
कारगिल का युद्ध हुआ, शांति-मार्ग अवरुद्ध ।
पाक बना नापाक सा, फिर भ्रातृत्व अशुद्ध ।।
फिर भ्रातृत्व अशुद्ध, दोनों के परमाणु बम ।
करी पाक शुरुआत, यहां पर गूंजे बम-बम ।।
कह वाणी कविराज, ढूंढता चूहा फिर बिल।
हस्ती मिटती नहीं, कहे मन जयति कारगिल।।