आनंद ने आनंद दिए, लिखे हजारों गीत ।नित्य नए जज्बात को, दिया नया संगीत ।।दिया नया संगीत, निराकार को साकार ।मिलन,आसरा ताल, अमर प्रेम,शोले,तार ।।कह 'वाणी' कविराज, करते करोड़ो पसंद ।इनामी चार बार, हुए हमारे आनंद ।।
आनंद ने आनंद दिए, लिखे हजारों गीत ।
नित्य नए जज्बात को, दिया नया संगीत ।।
दिया नया संगीत, निराकार को साकार ।
मिलन,आसरा ताल, अमर प्रेम,शोले,तार ।।
कह 'वाणी' कविराज, करते करोड़ो पसंद ।
इनामी चार बार, हुए हमारे आनंद ।।