कांवड़ यात्रा चल पड़ी, सावन की शुरुआत ।अगणित पग आगे बढ़े, भजनों की सौगात ।।भजनों की सौगात, गीत शंभू के प्यारे ।रखते तन-मन साफ, तपस्वी न्यारे-न्यारे ।।कह 'वाणी' कविराज, जगे जन-मन में भावड़ । हम भी चलते साथ, लेय कंधों पर कांवड़ ।।
कांवड़ यात्रा चल पड़ी, सावन की शुरुआत ।
अगणित पग आगे बढ़े, भजनों की सौगात ।।
भजनों की सौगात, गीत शंभू के प्यारे ।
रखते तन-मन साफ, तपस्वी न्यारे-न्यारे ।।
कह 'वाणी' कविराज, जगे जन-मन में भावड़ ।
हम भी चलते साथ, लेय कंधों पर कांवड़ ।।