कविराज भानु



 धर्मवती के भानु जो, नेपाली कविराज

रामायण अनुवाद का, कीनो दुर्लभ काज ।।

कीनो दुर्लभ काज, आदि कवि सम कहलाए

सिक्किम-दार्जिलिंग, भक्त लाखों जस गाए ।।

कह 'वाणी' कविराज, धन्य है मातु भारती

हुए धनंजय धन्य, धन्य माता धर्मवती ।।