धर्मवती के भानु जो, नेपाली कविराज ।रामायण अनुवाद का, कीनो दुर्लभ काज ।।कीनो दुर्लभ काज, आदि कवि सम कहलाए ।सिक्किम-दार्जिलिंग, भक्त लाखों जस गाए ।।कह 'वाणी' कविराज, धन्य है मातु भारती ।हुए धनंजय धन्य, धन्य माता धर्मवती ।।
धर्मवती के भानु जो, नेपाली कविराज ।
रामायण अनुवाद का, कीनो दुर्लभ काज ।।
कीनो दुर्लभ काज, आदि कवि सम कहलाए ।
सिक्किम-दार्जिलिंग, भक्त लाखों जस गाए ।।
कह 'वाणी' कविराज, धन्य है मातु भारती ।
हुए धनंजय धन्य, धन्य माता धर्मवती ।।