हरेला है कुमाऊँ में, श्रावण का त्यौहार ।नई फसल संकेत दे, माने हर परिवार ।।माने हर परिवार, रख भांत-भांत के बीज ।पिलाय मन से नीर, बीज न होए खारिज ।कह 'वाणी' कविराज, लगे खुशियों का मेला ।शिव-गौरी आशीष, भू हरी करे हरेला ।।
हरेला है कुमाऊँ में, श्रावण का त्यौहार ।
नई फसल संकेत दे, माने हर परिवार ।।
माने हर परिवार, रख भांत-भांत के बीज ।
पिलाय मन से नीर, बीज न होए खारिज ।
कह 'वाणी' कविराज, लगे खुशियों का मेला ।
शिव-गौरी आशीष, भू हरी करे हरेला ।।