विश्व क्षमा दिवस - 7 th July
गहरे‐गहरे जख्म हैं, जियरा है हैरान ।
जान-बूझ सौ गलतियां, लाखों थीं अनजान ।।
लाखों थीं अनजान, तुम मन को रखना साफ ।
करें नज़र अंदाज़, हम भी करते हैं माफ ।।
कह 'वाणी' कविराज, खिले मुखड़े हरे-भरे ।
ऐसी बने मिसाल, जुड़े फिर गहरे-गहरे ।।