तपोबल ऋषि-घर जनमी, कात्यायनी कहाय ।बन रण बांकुरों का बल, साहस देय बढ़ाय ।।साहस देय बढ़ाय, मां महिषासुर मर्दिनी ।ब्रह्मा,विष्णु,महेश, शक्ति असुर संहारिणी ।।कह 'वाणी' कविराज, गृहस्थ जीवन हो सफल ।चढ़ा पीत नैवेद्य, सिद्धि दिलाये तपोबल ।।
तपोबल ऋषि-घर जनमी, कात्यायनी कहाय ।
बन रण बांकुरों का बल, साहस देय बढ़ाय ।।
साहस देय बढ़ाय, मां महिषासुर मर्दिनी ।
ब्रह्मा,विष्णु,महेश, शक्ति असुर संहारिणी ।।
कह 'वाणी' कविराज, गृहस्थ जीवन हो सफल ।
चढ़ा पीत नैवेद्य, सिद्धि दिलाये तपोबल ।।