स्कूल खुले हैं आज से, सुनलो भैय्या बात ।दिवस खेलने के गये, बची न खेलन रात ।।बची न खेलन रात, समझ कर तुम समझाना ।बनना ज्ञानी सेठ, बांटना ज्ञान-खजाना ।।कह 'वाणी' कविराज, हर साल कहूं आप से ।भूल जाय हर बार, पढ़ने आना आज से ।।
स्कूल खुले हैं आज से, सुनलो भैय्या बात ।
दिवस खेलने के गये, बची न खेलन रात ।।
बची न खेलन रात, समझ कर तुम समझाना ।
बनना ज्ञानी सेठ, बांटना ज्ञान-खजाना ।।
कह 'वाणी' कविराज, हर साल कहूं आप से ।
भूल जाय हर बार, पढ़ने आना आज से ।।