कालरात्रि (सप्तम दिवस )

 कालरात्रि (सप्तम दिवस )

 

काला गहरा रंग जोकालरात्रि है नाम ।

सवारी कर गर्दभ कीराक्षस काम तमाम ।।

राक्षस काम तमाम शुंभ निशुंभ सब मारे ।

जब मरा रक्तबीज हर्षित थे देव सारे ।।

कह 'वाणी 'कविराज कंठ पर विद्युत माला ।

गुड़ केशर की खीर कभी न उगे दिन काला।।

कवि अमृत 'वाणी'