गंगा तट काली गई, स्नान गौरी बनाय । धूम्रलोचन मार दियो, महागौरी कहाय ।। महागौरी कहाय, वाहन हैं बैल प्यारे । सीता पूजन जाय, पावही राम दुलारे ।। कह 'वाणी' कविराज, जो इस भक्ति में रंगा । पाय सुखद संतान, जब पाप मिटाय गंगा ।।
गंगा तट काली गई, स्नान गौरी बनाय ।
धूम्रलोचन मार दियो, महागौरी कहाय ।।
महागौरी कहाय, वाहन हैं बैल प्यारे ।
सीता पूजन जाय, पावही राम दुलारे ।।
कह 'वाणी' कविराज, जो इस भक्ति में रंगा ।
पाय सुखद संतान, जब पाप मिटाय गंगा ।।