विक्रम अपने देश का, चंद्रयान था तीन ।ऐसी भरी उड़ान जो, अमर हुआ वह सीन ।।अमर हुआ वह सीन, चांद पर ढूंढ़ा पानी ।प्रज्ञान का संज्ञान, लेते रहे विज्ञानी ।।कह 'वाणी' कविराज, बाग-बाग हुए हमदम ।थे एस सोमनाथ, साराभाई व विक्रम ।।
विक्रम अपने देश का, चंद्रयान था तीन ।
ऐसी भरी उड़ान जो, अमर हुआ वह सीन ।।
अमर हुआ वह सीन, चांद पर ढूंढ़ा पानी ।
प्रज्ञान का संज्ञान, लेते रहे विज्ञानी ।।
कह 'वाणी' कविराज, बाग-बाग हुए हमदम ।
थे एस सोमनाथ, साराभाई व विक्रम ।।