पाई-पाई का रखो , प्यारे सभी हिसाब ।हंसता मुखड़ा कांच में , खुल्ली देख किताब ।।खुल्ली देख किताब , पढ़ आय कर अधिकारी ।नाही इंकम खास , पर रिटन की तैयारी ।।कह 'वाणी' कविराज , समझ ले मेरे भाई ।है राष्ट्र का विकास , लिखादो पाई-पाई ।।
पाई-पाई का रखो , प्यारे सभी हिसाब ।
हंसता मुखड़ा कांच में , खुल्ली देख किताब ।।
खुल्ली देख किताब , पढ़ आय कर अधिकारी ।
नाही इंकम खास , पर रिटन की तैयारी ।।
कह 'वाणी' कविराज , समझ ले मेरे भाई ।
है राष्ट्र का विकास , लिखादो पाई-पाई ।।