तीन साल अकाल पड़ा, जनता सब घबराय ।
मान्धाता ऋषि वंश में, अंगीरा के जाय ।।
अंगीरा के जाय, गुरुवर दो सहज उपाय ।
एकादशी बताय, पद्मा मेघा बरसाय ।।
कह 'वाणी' कविराज, सुनो भैया दीन-हीन ।
हर ग्यारस का वास, सुधरे जनम तीन-तीन ।।