वन महोत्सव
हरी-भरी धरती रहे, रहे सभी खुशहाल ।
खान-पान सब शुद्ध हो, जीएं सौ-सौ साल ।।
जीएं सौ-सौ साल, हर तरफ भाईचारा ।
नदियां बारह मास, फल-फूल तरवर प्यारा ।।
कह 'वाणी' कविराज, बात कहता खरी-खरी ।
लगे हजारों पेड़, हंसे धरती हरी-भरी ।।
कवि अमृत 'वाणी'