कथा-सम्राट.........


 

धनपतराय श्रीवास्तव,  हुए कथा-सम्राट 

गोदान, गबन,निर्मला,   कफ़न,पूस की रात  ।।

कफ़न,पूस  की रात,  परीक्षा,बूढ़ी काकी ।

अन्तर्द्वंद्व नर-नार,  रखा ना कुछ भी बाकी ।।

'वाणी' प्रेम चंद,  पहचान ऐसी बनाय 

हिंदी देश-विदेश,  पहुंचाई धनपतराय  ।।

राष्ट्रीय पर्वतारोहण दिवस


 पर्वतारोहण दल जो,  ऊंचे पर्वत जाय  ।

क्या-क्या अनुभव पा रहें, आकर सभी सुनाय  ।।

आकर सभी सुनाय, होय अगली तैयारी 

होतें कुछ बदलाव, नए लोगों की बारी  ।।

कह 'वाणी' कविराज, करें प्रकृति का संरक्षण 

प्रेम लूट भरपूर, कर-कर पर्वतारोहण  ।।

मोहम्मद रफ़ी..................


 उपमा तानसेन मिली,  गायक थे मशहूर  ।

संग लता के गीत जो,  सुनते हैं सब दूर  ।।

सुनते हैं सब दूर,  शहंशाह-ए-तरन्नुम  ।

रफ़ी पद्म श्री पाय,  साथ उनके गाओ तुम  ।।

कह 'वाणी' कविराज,  गाएंगे वही नगमा  ।

रहे सभी को यादजिसे तानसेन उपमा  ।।

राष्ट्रीय अभिभावक दिवस......


 अभिभावक हर हाल  में, पूछे अपने हाल  ।

पढ़ाई कैसी चलती, सच कहना गोपाल  ।।

सच कहना गोपाल, चिंताओं की भरमार  ।

सबल बुद्धि सब मार, बनना है श्रवण कुमार  ।।

कह 'वाणी' कविराज, यही सोचे हर पालक  ।

ऐसे कर उपकार, गर्वित होएं अभिभावक  ।।


नाग पंचमी.......


 नाग पंचमी

नाग पंचमी आज है,  नमन सभी अहिराज  ।

काल-सर्प का दोष हो,  पूरी पूजा आज  ।।

पूरी पूजा आज,  मिलता सबको आशीष  ।

दूध पिलाते  रहो,  दूर झुकाकर शीश  ।।

कह 'वाणी' कविराज,  मुसीबतें जाएं भाग  ।

होते अटके काम, लेय दूध काले नाग  ।।

विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस ........


 हरे-भरे वन हैं अगर, फल पाएंगे रोज  ।

तन-मन हैं जब संतुलित,  रोज मनेगी मोज  ।।

रोज मनेगी मोज, रहेंगे मिलजुल भाई  ।

खाना खाना साथ, आय ना कभी दवाई  ।।

कह 'वाणी' कविराज,  गांव-शहर खुशियां भरे  ।

बड़े करे परिवार, पौधे अगर हरे-भरे ।।


अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस......


 छोटे-मोटे मामले, मिलजुल कर सुलझाय  ।

दो देशों की बात है, आगे तक ना जाय  ।।

आगे तक ना जाय, कभी न बढ़ाना विवाद  ।

ऐसे पक्के दोस्त, रहें पीढ़ियों तक याद  ।।

कह 'वाणी' कविराज, मुस्कुरा रहे मुखौटे  ।

फेल हुए सब दाव, हंस रहे छोटे-मोटे  ।।


एपीजे कलाम.........

एपीजे कलाम

कलाम

राष्ट्रपति जो ग्यारहवे, थे लाड़ले कलाम 

मिला मिसालइल मैन को, भारत रत्न इनाम  ।।

भारत रत्न इनाम, अभियंता पद्म भूषण 

बना प्रक्षेपण यान, कर इसरो का अनुशरण  ।।

कह 'वाणी' कविराज, बेगम जुलेखा के पति 

पढ़े आप मद्रास, वीणा-वादक राष्ट्रपति  ।।

कारगिल विजय दिवस.......


 

कारगिल का युद्ध हुआ, शांति-मार्ग अवरुद्ध 

पाक बना नापाक सा, फिर भ्रातृत्व अशुद्ध  ।।

फिर  भ्रातृत्व अशुद्ध, दोनों के परमाणु बम 

करी पाक शुरुआत,  यहां पर गूंजे बम-बम  ।।

कह वाणी कविराज, ढूंढता चूहा फिर बिल।

हस्ती मिटती नहीं, कहे मन जयति कारगिल।।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक स्वयं कल्याण दिवस


 पद जो न्यायाधीश का , है इसलिए महान  ।

एक-एक की बात को , सुने लगा कर  ध्यान  ।।

सुने लगा कर ध्यान , वे खुद को वहां रखकर  ।

सोच गहन गंभीर , करे हर राज उजागर  ।।

कह 'वाणी' कविराज , तय करे अपराधी कद  ।

कितना मन बेचैन , कहे सज़ा-ए-मौत पद  ।।


 

 

पाई-पाई का रखो , प्यारे सभी हिसाब 

हंसता मुखड़ा कांच में , खुल्ली देख किताब  ।।

खुल्ली देख किताब ,  पढ़ आय कर अधिकारी 

नाही इंकम खास , पर रिटन की तैयारी  ।।

कह 'वाणी' कविराज , समझ ले मेरे भाई 

है राष्ट्र का विकास , लिखादो पाई-पाई  ।।

रामचरित मानस अंतस निर्मल राखिए, दान-पुण्य कर पाठ ।


 

रामचरित मानस

अंतस निर्मल राखिए, दान-पुण्य कर पाठ ।

अच्छे-अच्छे सोच की, बांधे मन में गांठ ।।

बांधे मन में गांठ, बढ़ाना ज्ञान उजाला ।

ऐसा बढ़े प्रकाश, रहे ना तिल भर काला ।।

कह 'वाणी' कविराज,  सुमन रामचरित मानस ।

लगे राम परिवार, सजाएं ऐसा अंतस ।।

तिरंगा दिवस सब कहता है तिरंगा, सुनो लगा कर कान ।


तिरंगा दिवस

सब कहता है तिरंगा,  सुनो लगा कर कान 

क्या करना क्या कर रहे,  जाने सब की जान  ।।

जाने सब की जान,  न माने मन मतवाला 

सात समंदर पार,  क्यों बेचैन धन काला  ।।

कह 'वाणी' कविराज,  रोज नया होता गजब 

किस दिन होगा अंत,  सवाल तिरंगे के सब  ।।

श्रीकांत जचकर......

 

बसे पढ़े लिखे अधिक, हैं जचकर श्रीकांत 

हुई ना कभी आपकी , जिज्ञासाएं शांत  ।।

जिज्ञासाएं शांत , डाॅक्टर,वकील, प्रवक्ता 

थे आई. ए. एस. , विश्व विख्यात सशक्ता  ।।

कह 'वाणी' कविराज,  लिंबा बुक नाम तबसे 

लेय डिग्रियां बीस , विश्व में ज्ञानी सबसे  ।।

आनंद बक्शी ....


 

आनंद ने आनंद दिए,  लिखे हजारों गीत 

नित्य नए जज्बात को,  दिया नया संगीत  ।।

दिया नया संगीत,  निराकार को साकार 

मिलन,आसरा ताल,  अमर प्रेम,शोले,तार  ।।

कह 'वाणी' कविराज,  करते करोड़ो पसंद 

इनामी चार बार,  हुए हमारे आनंद  ।।

चंदा मामा जानते, मेरा दूर मुकाम । पहुंचेंगे मुझ तक

चंदा मामा जानते, मेरा दूर मुकाम ।

पहुंचेंगे मुझ तक वही, कोशिश हो अविराम ।।

कोशिश हो अविराम, आया अपोलो ग्यारह ।

तब नीलआर्मस्ट्रांग, एल्ड्रीन चले चंद्र सतह ।।

कह 'वाणी' कविराज, हर देश का हो झंडा ।

करते सब से आस, राह तके रोज चंदा ।।