कूष्मांडा देवी (चतुर्थ दिवस)

 (चतुर्थ दिवस)

कूष्मांडा देवी वहां, थोड़ी सी मुस्काय ।
 तब घटना ऐसी घटी, सृष्टि अखिल रचाय ।।
सृष्टि अखिल रचाय, मात अष्ट भुजाधारी ।
सब तेरा ही तेज, चमक रहें जीवधारी ।।
कह 'वाणी' कविराज, सिद्धि की महादेवी ।
अनहद चक्र चलाय, भजो कूष्मांडा देवी ।।
 कवि अमृत 'वाणी'