कौड़ी- कौड़ी जोड़ के, कौड़ी करी करोड़ ।
फदक-फदक फूल्यो फरे, मांग्यो मरे
मरोड़ ।।
मांग्यो मरे मरोड़, मूंछा नींबू ठेराय ।
चाल चाल में चाल, चाल चली थाणा माय
।।
कह 'वाणी' कविराज, पूंजी वेयगी रोड़ी ।
योग कला थूं सीख, तर जाय
कौड़ी-कौड़ी ।।
कवि अमृत 'वाणी'