अन्तरराष्ट्रीय पिकनिक दिवस
सारे साथी सूरमा, चले मिला कर हाथ ।
देशी बाटी चूरमा, हिला-हिला कर दाल ।।
हिला-हिला कर दाल, नाचे गाएं सब संग ।
जंगल का आनंद, तनिक पकौड़ी में भंग ।।
कह 'वाणी' कविराज, कुदरती वारे-न्यारे ।
रहें मनाते मौज, यहां मिल-झुल कर सारे ।।
कवि अमृत ‘वाणी’