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राम लक्ष्मण द्वादशी
राम लक्ष्मण द्वादशी, आय निर्जला बाद ।
की दशरथ सुत कामना, दूर हुआ अवसाद ।।
दूर हुआ अवसाद , चार की सुन किलकारी ।
हर्षित अवध नरेश , मन मन मुदित महतारी ।।
कह 'वाणी' कविराज, मूल्यवान मान हर क्षण ।
होय वीर संतान, गोद में राम लक्ष्मण ।।
कवि अमृत 'वाणी'
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