विनायक चतुर्थी
सारे संकट दूर हों, करो विनायक जाप ।
रिद्धि-सिद्धी जब साथ में, तनिक बचे ना पाप ।।
तनिक बचे ना पाप, सबसे पहले मनाओ ।
अरज करो कर जोड़, धंधा मेरा बढ़ाओ ।
कह 'वाणी' कविराज, खिलाओ लड्डू प्यारे ।
जपते रहें गणेश, हों बिगड़े काम सारे ।।
कवि अमृत 'वाणी'