वायुयान ऐसे उड़े , करे हवा से बात ।
दुश्मन सारे जंग में देखेंगे औकात ।।
देखेंगे औकात , ऐसे लड़ाकू विमान ।
पल में चकनाचूर हर एक लगे हनुमान ।।
कह 'वाणी'कविराज , रण में औंधे मुंह पड़े ।
दिशा-दिशा में जीत , वायुयान ऐसे उड़े ।।
वायुयान ऐसे उड़े , करे हवा से बात ।
दुश्मन सारे जंग में देखेंगे औकात ।।
देखेंगे औकात , ऐसे लड़ाकू विमान ।
पल में चकनाचूर हर एक लगे हनुमान ।।
कह 'वाणी'कविराज , रण में औंधे मुंह पड़े ।
दिशा-दिशा में जीत , वायुयान ऐसे उड़े ।।
आदि कवि वाल्मीकि हुए , नारद दीना मंत्र ।
राम नाम जपते रहे , मान कर महामंत्र ।।
मान कर महामंत्र , ढंक दियो दिमक तन को ।
प्रकट हुए जो पुण्य , कवि रची रामायण को ।।
कह 'वाणी'कविराज , सभी श्रोता चकित हुए ।
सुन लव कुश का गान , आदि कवि वाल्मीकि हुए ।।