विश्व नगर दिवस


 
गांव से चल-चल करके, बनाय बड़े मुकाम  ।

केवल धन की होड़ है, शहर उसी का नाम  ।।

शहर उसी का नाम, होते रोज़ नवाचार  ।

नफ़रत की मुस्कान, अज़ीब युग शिष्टाचार  ।।

कह 'वाणी'कविराज, धुंधल पास हर नज़र के  ।

ज़ख्मी हुए ज़मीर, गांव से चल-चल करके  ।।

राष्ट्रीय एकता दिवस

 

सरदार वल्लभ पटेल , जन्मे जो नडियाद  ।

बिस्मार्क वे भारत के , देश हुआ आज़ाद  ।।

देश हुआ आज़ाद , बने उप प्रधानमंत्री  ।

लौह पुरुष कहलाय ,  पूर्ण सफल प्रजातंत्री  ।।

'वाणी' नर्मदा तीर , प्रतिमा विशाल आकार  ।

झुका- झुका कर शीष , जय-जय वल्लभ सरदार  ।।

                                                                 कवि अमृत ‘वाणी’

अंतर्राष्ट्रीय इंटरनेट दिवस


मोबाइल में जान है , जान सके तो जान  ।

जानकार जग जानता , किसमें किसकी जान  ।।

किसमें किसकी जान , जान कितनी व्याकुल है  ।

अगर चुराले चोर, सज़ा मिलनी बिल्कुल है  ।।

कह 'वाणी' कविराज , कभी न होंगे फाइनल  ।

केश-केश पर क्लेश , जेब में जब मोबाइल  ।।

कवी अमृत वाणी 
 

बचत दिवस


बचत दिवस संदेश से, किया काम सब रोज  ।

दो-दो पैसा जोड़ते, उनका निखरा ओज  ।।

उनका निखरा ओज, इटली का शहर मिलान  ।

आयोजन को देख, बात फिलीयो की मान  ।

'वाणी' शुभ शुरुआत, इटली नामक देश से  ।

होठों पर मुस्कान, बचत दिवस संदेश से  ।।


जम्मू कश्मीर विलय दिवस


आज़ादी के बाद ही, हरिसिंह हैरान । 

रियासत खुशहाल नहीं, सताय पाकिस्तान ।।

सताय पाकिस्तान, पाक का मन पाक नहीं ।

कह जम्मू कश्मीर, भरत सा है भारत सही ।।

'वाणी' भाई जान, बड़ी सेना पहुंचा दी ।

जे. के. में संतोष, मिली सच्ची आज़ादी ।।

जम्मू कश्मीर विलय दिवस

आज़ादी के बाद ही , हरिसिंह हैरान  । 

रियासत खुशहाल नहीं ,सताय पाकिस्तान  ।।

सताय पाकिस्तान , पाक का मन  पाक नहीं  ।

कह जम्मू कश्मीर , भरत सा है भारत सही  ।।

'वाणी' भाई जान , बड़ी सेना पहुंचा दी  ।

जे. के. में संतोष , मिली सच्ची आज़ादी  ।। 

अंतर्राष्ट्रीय कलाकार दिवस


 कलाकार को काम दो , बार-बार सम्मान ।

नए-नए ईज़ाद से , बदले रोज ज़हान  ।।

बदले रोज ज़हान , रहे रात-दिन मशगूल  ।

समय सबका खास , वे खर्च करें न फिज़ूल  ।।

कह 'वाणी'कविराज,  पाब्लो महा चित्रकार  ।

कई नव दृष्टिकोण , अज़माय हर कलाकार  ।।

भाई दूज

यमराज बहन घर गए , यमुना जी के पास  ।

स्वागत तिलक लगाय के , भोज बनाया खास  ।।

भोज बनाया खास , दिया शुभाशीर्वाद  ।

बहिनें रखती व्रत , भाई होंगे आबाद  ।।

'वाणी' भाई दूज , ले जाय उपहार आज ,

न हो अकारण मौत , बचाते रहें यमराज  ।।


 

विश्व पोलियो दिवस

महा रोग था पोलियो , अपंगता संयोग ।

जीवन भर के कष्ट से भारी चिंतित लोग ।।

भारी चिंतित लोग , चला "दो बूंद जिंदगी" ।

एक महा अभियान , रोग मुक्त अब जिंदगी ।।

कह 'वाणी'कविराज , अज़िब टीका खोज लियो ।

अमर जोनास साल्क , महा रोग था पोलियो  ।।

 

अन्नकूट


षटरस भोजन होय तब , अन्नकूट कहलाय  ।

छप्पन भोग लगाय जो , सकल देव हरषाय  ।।

सकल देव हरषाय , गोवर्धन सब पूजते  ।

पूजित गौ अरु बैल, सहर्ष प्रसाद  लूटते  ।।

कह 'वाणी'कविराज ,  मनाते बरस-दर- बरस  ।

मिटते सभी विकार , भोजन होय जब षटरस  ।।

दीप


दीप जलाय विनय करें , अंतस तम मिट जाय  । 

चिंतन-मनन नवीनता , नव अरुणोदय आय  ।।

नव अरुणोदय आय , सभी के सब सहयोगी  ।

कहीं नहीं अवसाद , ज्यूं युग-युग के योगी  ।।

कह 'वाणी'कविराज , हर तमस में ज्योति भरें  ।

रोज दिवाली होय , दीप जलाय विनय करें  ।।

दीप

दीप जलाय विनय करें , अंतस तम मिट जाय  । 

चिंतन-मनन नवीनता , नव अरुणोदय आय  ।।

नव अरुणोदय आय ,  सभी के सब सहयोगी  ।

कहीं नहीं अवसाद , ज्यूं युग-युग के योगी  ।।

कह 'वाणी'कविराज , हर तमस में ज्योति भरें  ।

रोज दिवाली होय , दीप जलाय विनय करें  ।।

 

रूप चतुर्दशी


 उबटन से जब स्नान हो, आए रूप निखार  ।

देखनवाले दंग हों ,  करने कई करार  ।।

करने कई करार ,  कहे छोटी दीवाली  ।

पंच दिवस यह पर्व , आज वर दे दो  काली  ।।

कह 'वाणी'कविराज,  बढ़े आभा इस दिन से  ।

दिशा-दिशा में जाय , कर ले स्नान उबटन से  ।।

विश्व खाद्य दिवस


 करना भोजन आपको , जितनी लगती भूख  । 

जिस दिन ज्यादा खा गए , बदल जायगा रूख  ।।

बदल जायगा रूख , दौड़ा जाय अस्पताल  ।

करे  मशीनें चेक , तुम नोट गिनो तत्काल  ।।

कह 'वाणी'कविराज , पछताना मां बाप को  ।

लगे भूख जब तेज , करना भोजन आपको  ।।

विश्व मानक दिवस

खास-खास का मान जब , समय-समय पर होय  ।

सारी बाधा दूर हो , गहरी निद्रा सोय  ।।

गहरी निद्रा सोय , करते जो आविष्कार  ।

होते कई प्रयोग , पाय रोग के उपचार ।।

'वाणी'  परखन जाय , प्रतिभाशाली पास का  ।

दुनिया करती रोज , सम्मान खास-खास का  ।।

 

वैश्विक हाथ धुलाई दिवस


 हाथ मिलाकर सब चलें , धोते रहना हाथ  ।

बीस सेकंड धोय के , करना भोजन साथ  ।।

करना भोजन साथ  , खाएं पांचो पकवान  । 

धोय  शौच के बाद , रखे निरोगी भगवान  ।।

कह 'वाणी'कविराज , घट-घट के संकट टले  ।

जीवन हो अभिराम  , हाथ मिलाकर सब चले   ।।


विश्व गठिया दिवस


 जोड़-जोड़ में दर्द है , लगे दर्द असहाय  l

दिन-दिन सूजन यूं बढ़ी,  अब तो राम बचाय  ।।

अब तो राम बचाय , बड़ी बाधा मोटापा  ।

बैठी-बैठी खाय , पीड़ का राग अलापा  ।।

कह'वाणी'कविराज , तुम पहले सुस्ती छोड़  ।

करो नित्य व्यायाम , ठीक होंगे जोड़-जोड़  ।।


अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस


 बेटा-बेटी एक हैं ,  समझो चतुर सुजान  ।

दो-दो घर को तारती , बनाएं भाग्यवान  ।।

बनाएं भाग्यवान , कभी न सेवा में चूक  ।

मर्यादा में मौन , पर बोलती है अचूक  ।।

'वाणी' बनी न भार ,  जिसके काम अनेक हैं , 

पूर्णतः निर्विकार ,  बेटा-बेटी एक है  ।।


धनतेरस

 

धनतेरस धन पूजते,  श्रम धन को ना भूल  ।

जो पूजे धन्वन्तरी , मिटते सकल त्रिशूल  ।।

मिटते सकल त्रिशूल , मिलता अनंत खज़ाना  ।

तन-मन रहे निरोग , धनी हो धर्म दिवाना  ।।

कह 'वाणी' कविराज , कभी भी नहीं भूलते  ।  

प्रथम पूज्य कर याद, धन तेरस धन  पूजते  ।।



बेटा-बेटी एक हैं ,  समझो चतुर सुजान  ।

दो-दो घर को तारती , बनाएं भाग्यवान  ।।

बनाएं भाग्यवान , कभी न सेवा में चूक  ।

मर्यादा में मौन , पर बोलती है अचूक  ।।

'वाणी' बनी न भार ,  जिसके काम अनेक हैं , 

पूर्णतः निर्विकार ,  बेटा-बेटी एक है  ।।



 

बजरंग दल स्थापना दिवस


 बजरंग दल गज़ब  खिला,  खिलते गए गुलाब  ।

श्रम विनय कटियार का , हिंदुत्व लाजवाब  ।।

हिंदुत्व लाजवाब , सेवा ,संस्कृति ,सुरक्षा ।

सब पर पूरा ध्यान , हो हर एक की रक्षा  ।।

कह 'वाणी'कविराज , याद करो क्या-क्या मिला  ।

देना अच्छा खाद , बजरंग दल गज़ब खिला  ।।


भारतीय वायु सेवा दिवस


वायुयान ऐसे उड़े , करे हवा से बात ।

दुश्मन सारे जंग में देखेंगे औकात ।।

देखेंगे औकात , ऐसे लड़ाकू विमान ।

पल में चकनाचूर हर एक लगे हनुमान ।।

कह 'वाणी'कविराज , रण में औंधे मुंह पड़े ।

दिशा-दिशा में जीत , वायुयान ऐसे उड़े  ।।


वाल्मीकि जयंति


 

आदि कवि वाल्मीकि हुए , नारद दीना मंत्र  ।

राम नाम जपते रहे , मान कर महामंत्र  ।।

मान कर महामंत्र , ढंक दियो दिमक तन को  । 

प्रकट हुए जो पुण्य , कवि रची रामायण को  ।।

कह 'वाणी'कविराज , सभी श्रोता चकित हुए  ।

सुन लव कुश का गान , आदि कवि वाल्मीकि हुए  ।।

मीरा जयंती



 


मीरा जनमी मेड़ता , परणी प्यारा भोज  ।


जनम-जनम रो सांवरो , भजन गावती रोज  ।।


भजन गावती रोज , नाचती बांध घूंघरा  ।


राणाजी नाराज , दक दीदा जबरा-जबरा  ।।


कह 'वाणी'कविराज , करि भक्ति दुक झेलता  ।


हुयो जगत में नाम , मीरा जनमी मेड़ता  ।।