शिशु सुरक्षा दिवस
किलकारी नवजात की, सुन मनवा हरषाय ।
होनहार दीपक दिखा, दूर उजाला जाय ।।
दूर उजाला जाय, जो होगा शतायु पार ।
छः माह स्तनपान, तभी अन्न का संस्कार ।।
कह 'वाणी'कविराज, सभी की जिम्मेदारी ।
टीके लगते जाय, सुनते रहो किलकारी ।।
शिशु सुरक्षा दिवस
किलकारी नवजात की, सुन मनवा हरषाय ।
होनहार दीपक दिखा, दूर उजाला जाय ।।
दूर उजाला जाय, जो होगा शतायु पार ।
छः माह स्तनपान, तभी अन्न का संस्कार ।।
कह 'वाणी'कविराज, सभी की जिम्मेदारी ।
टीके लगते जाय, सुनते रहो किलकारी ।।
बैकुंठ चतुर्दशी
चतुर्दशी बेकुंठ की, आती कार्तिक मास ।
यह हरि-हर का मिलन है, पूरण करती आस ।।
पूरण करती आस, खुले बैकुंठ के द्वार ।
दे दिया आशुतोष, सुदर्शन चक्र उपहार ।।
कह 'वाणी'कविराज, यही तिथि पितृ-पूजन की ।
घर-घर पूजा पाठ, चतुर्दशी बैकुंठ की ।।
मोटरसाइकिल आविष्कार
चलते-चलते थक गए, बाइक किया विचार ।
कोई ऐसा यंत्र हो, बैठे जिस पर चार ।।
बैठे जिस पर चार, फिर आनंद की बातें ।
काका के ससुराल, चलेंगे कितनी रातें ।
'वाणी' यंत्र बनाय, सुधारा करते-करते ।
चलते जो दिन-रात, थक जाय चलते-चलते ।।
दंड मुक्ति समाप्त करने का दिवस
सच्ची-सच्ची बात को , लिखे जो पत्रकार ।
पाठक पढ़के ध्यान से , करते तुरत विचार ।।
करते तुरत विचार , पड़ोसी भ्रष्टाचारी ।
बनाय अपनी गेंग , पीटने की तैयारी ।।
'वाणी' ऐसा दंड , अपराधी की जात को ।
लिखते जाएं रोज , सच्ची-सच्ची बात को ।।
काशी ही वाराणसी, देव दिवाली आय ।
कार्तिक की है पूर्णिमा, दर्शक मन हर्षाय ।।
दर्शक मन हर्षाय, सकल देव गण पधारे ।
घाट-घाट पर दीप, वर मुद्रा खड़े सारे ।।
कह'वाणी'कविराज, लाखों अंखियां प्यासी ।
नहाय गंगा घाट, काशी ही वाराणसी ।।