नाम देव महाराज


 नाम देव महाराज   

गोणाई दामा घरे, जनमिया नामदेव  

विट्ठल-विट्ठल हूणियो , मुंह मोड़्यो महादेव  ।।

मुंह मोड़्यो महादेव, अन मूरत पीगी दूध 

बरसा रिया पंजाब , धर्मी पूज्या अवधूत  ।।

कह 'वाणी' कविराज, हरि नाम मेमा गाई 

छींपा-दर्जी जात, भजे दामा गोणाई  ।।


कवि अमृत 'वाणी'





महागौरी (अष्टम दिवस) गंगा तट काली गई, स्नान गौरी.......


गंगा तट काली गई, स्नान गौरी बनाय ।

धूम्रलोचन मार दियो, महागौरी कहाय ।।

महागौरी कहाय, वाहन हैं बैल प्यारे ।

सीता पूजन जाय, पावही राम दुलारे ।।

कह 'वाणी' कविराज, जो इस भक्ति में रंगा ।

पाय सुखद संतान, जब पाप मिटाय गंगा ।।

कालरात्रि (सप्तम दिवस )

 कालरात्रि (सप्तम दिवस )

 

काला गहरा रंग जोकालरात्रि है नाम ।

सवारी कर गर्दभ कीराक्षस काम तमाम ।।

राक्षस काम तमाम शुंभ निशुंभ सब मारे ।

जब मरा रक्तबीज हर्षित थे देव सारे ।।

कह 'वाणी 'कविराज कंठ पर विद्युत माला ।

गुड़ केशर की खीर कभी न उगे दिन काला।।

कवि अमृत 'वाणी'



वन महोत्सव- 1st July

वन महोत्सव

 

हरी-भरी धरती रहे, रहे सभी खुशहाल ।

खान-पान सब शुद्ध हो, जीएं सौ-सौ साल ।।

जीएं सौ-सौ साल, हर तरफ भाईचारा ।

नदियां बारह मास, फल-फूल तरवर प्यारा ।।

कह 'वाणी' कविराज, बात कहता खरी-खरी ।

लगे हजारों पेड़, हंसे धरती हरी-भरी ।।

कवि अमृत 'वाणी'

 




 


स्कूल खुले.................1 July




 

स्कूल खुले हैं आज से,  सुनलो भैय्या बात 

दिवस खेलने के गये,  बची न खेलन  रात  ।।

बची न खेलन रात, समझ कर तुम समझाना 

बनना ज्ञानी सेठ, बांटना ज्ञान-खजाना  ।।

कह 'वाणी' कविराज,  हर साल कहूं आप से 

भूल जाय हर बार, पढ़ने आना आज से  ।।