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पनघट के प्रहरी
सुर्ख
इतना कह देतें
प्यास कितनी गहरी है
पनिहारिनों की चलें
बता देती हैं
गागर कितनी भरी है
युगो-युगो से होती आई
प्यास पर
छलकती गागर कुर्बान
मगर
फिर भी क्यों
घट-घट पर
पनघट के प्रहरी हैं ।
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