सौ मंजिल ऊँची ईमारत के
सुनहरी झरोखे से
गोरे हाथों ने फेंका
एक सूखी रोटी का टुकड़ा
जो गिरा
सीधा एक भिखारी के कटोरे में
और झटके से बंद कर दिए
सतरंगी चूडियों ने
कांच के किंवाड़
भिखारी चला गया
किन्तु मैं अभी तक वहीं खड़ा हूँ
तभी से सोच रहा हूँ
रोटी कितनी बड़ी
इंसान कितना छोटा है |