बहुत कुछ
आज तकआज नहीं तो कलसबको मिलता रहाउसकीजरूरत मुताबिककुछ ना कुछ ।आप ही बताइये जनाबजहान में आज तककिसको नसीब हुआसब कुछ ।।फिर भीलाखों लोगलाखों बारन जाने क्योंबेवजहरोते-
रोते चले गएकुछ तोआज भी रो रहेकुछबेशककल तक रोने ही वालेदेखोदेखोतीनों किस्मों केचाहो जितने नजारेऔरसमझनाचाहो तो समझलोमेरीइस छोटी सी नज्म कोबहुत बारीकी सेन जाने कैसेइसी में छिपादुनिया का बहुत कुछ ।।