परिवार

परिवार गजब औषधी, मिटाया सारे रोग |
संभल- संभल कर करे, जो इसका उपयोग ||

छोटी-मोटी बात को, छोटी करने जाय ।
एसी बलों के बीच में समाधान ह्या आम 

अपने अपने जाँच ले, समय समय कर बात ।
कितने दिन को दिन कहे, कितने कहते रात ||


इधर उधर सब जा रहे, लेकर अपनी सोय । 
दल.भरमार आंसूआ रहे, लेकर पाँव खरोंच ||


बडे-बडे सब सोचले, छोटे कैसे होता |
हुने अकड बेघर में, थिएनथिए करने रोप ||


तन-मन कर तू हूँ चली, एन मोती छुट वाम |
सम्मिलित के हर मोरे में संयमाने आले ||


 -कवि अमृत वाणी (चित्तौड़गढ़)