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दोश्त
आओ , सभी से हॅंस-हॅंस कर मिले ।
मतलबी आॅंखें कल खुले ना खुले ।।
’वाणी’ ऐसे हाथ मिलाओ दोश्तो से ।
जमाना कहे आज इनकेे नशीब खुले ।।
कवि अमृत 'वाणी'
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