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सब जानते
सब
जानते
तू
भी
कभी
मजबूत
पहाड़
था
,
आज
मिटता
-
मिटता
हो
गया
छोटा
सा
कंकर
I
मगर
तनिक
भी
चिंता
मत
कर
केवल
दो
बातें
ध्यान
रखा
कर
पहली
बात
मौके
की
तलाश
में
तुझे रात-दिन
फिरना
है
दूसरी
बात
तुझे
कब
कहाँ
और
किस
की
आँख
में
कैसे
गिरना
है
I
अमृत 'वाणी '
सेंती चित्तौड़गढ़
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